भोपाल। किसी भी जिले में अपराध पर शिकंजा कसने के लिए उक्त जिले के आला अफसरों का अलर्ट होना बेहद जरूरी है अगर अधिकारी ही कुंभकर्णी नींद में सो जाएंगे तो उनके मातहतों का चैन की नींद सोना लाजिमी है। एमपी के मऊगंज जिले के अफसर भी कमोवेश कुछ इसी तरह गहरी नींद ले रहे हैं और जिले में सनसनीखेज वारदातों में जबरदस्त इजाफा होता जा रहा है। एक खबर के संबंध में हमने बयान लेने के लिए सोमवार की रात 11 बजे से पहले एसपी रसना ठाकुर को फोन किया लेकिन मैडम का फोन बंद था इससे साफ जाहिर है कि वो मोबाइल बंद कर आराम फरमा रही थीं। इसके बाद एसडीओपी अंकिता सूल्याको फोन किया इन मैडम के मोबाइल पर घंटी तो पूरी गई लेकिन ये इतनी गहरी नीद में थीं कि इन्हें घंटी सुनाई ही नहीं दी या फिर मोबाइल साइलेंट मोड में रखकर सो रही थी ताकि आराम में खलल न पड़े। हमने शाहपुर थाने में तैनात एसआई विश्वास को भी फोन किया इनके मोबाइल पर भी घंटी बज रही थी लेकिन यह भी घोड़े बेचकर सो रहे थे। अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि मऊगंज जिले के अफसर अपनी ड्यूटी को लेकर कितने मुस्तैद हैं। इनमें से किसी ने भी काल बैक करने की कोशिश भी नहीं की। सवाल यह है कि अगर कोई पीड़ित रात में पुलिस की मदद लेने की सोचे तो यह उसकी भूल है क्योंकि मऊगंज पुलिस आराम परस्त हो चुकी है उसे न तो अपराधियों कि गिरफ्तारी से मतलब है और न ही अपराध को रोकने की कवायद करनी हैं।
रात 11 बजे से पहले ही सो जाते हैं मऊगंज जिले के पुलिस अधिकारी, कैसे थमे अपराध?
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