कलेक्टर साहब वक्त हो तो इधर भी नजरें इनायत कर लीजिए,आपके रहते नहीं बन पाएगा मऊगंज का अस्पताल

भोपाल। एमपी के मऊगंज जिले के कलेक्टर नवाचार के मामले में जगजाहिर हैं, नवाचार भी ऐसे जो बीच रास्ते में दम तोड़ देते हैं। जिले का विकास तेल लेने गया इसकी कलेक्टर अजय श्रीवास्तव को परवाह नहीं है। जिले में बहुत सारी सरकारी जमीनों पर लोग जबरिया कब्जा किए हुए हैं इसका खुलासा हम बाद में करेंगे लेकिन अभी सिविल अस्पताल का जिक्र कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि मऊगंज में सिविल अस्पताल परिसर में ही निर्माण कार्य किया जाना है अस्पताल के स्वरूप को बढ़ाया जा रहा ताकि यहां की जनता को रीवा या अन्य जिलों की दौड़ न लगानी पड़े लेकिन कलेक्टर इतना व्यस्त हैं कि अस्पताल की तरफ उनको नजरें इनायत करने का वक्त ही नहीं है। अगर उनकी नजरें इनायत हो जाती तो शायद मऊगंज का अस्पताल बन जाता। लेकिन ऐसा समझ में आ रहा वो चाहते ही नहीं कि यहां की जनता को यहीं के अस्पताल में सभी सुविधाएं मुहैया हो जाएं। यह आरोप हम यूं ही नहीं लगा रहे।

आगे की खबर पढ़ने पर आपको भी संवेदनशील कलेक्टर की मंशा समझ में आ जाएगी। दरअसल मऊगंज में अस्पताल बनाने के लिए निविदा जारी की गई थी एक माह पहले ठेकेदारों ने टेंडर डाला और यह काम 31 करोड़ में योगेश इंटरप्राइजेज को मिल भी गया। हमने जब ठेकेदार से बात की तो उन्होंने बताया कि ढाई साल में हमें पूरा काम कंप्लीट करके देना है हमने एफडी जमा कर दी और तीन दिन पहले वर्क ऑर्डर भी मिल गया। ठेकेदार की मशीनें भी मऊगंज में डॉक्टर पंकज पांडेय के बंगले के पीछे खड़ी आराम फरमा रही हैं। ठेकेदार ने सवाल उठाया अस्पताल परिसर से अभी तक अतिक्रमण नहीं हटा ऐसे में हमें यही नहीं पता किस जमीन पर निर्माण करना है। जानकार बताते हैं कि समूचे अस्पताल परिसर की नाप बहुत पहले करवा ली गई थी लेकिन सवाल वहीं खड़ा है जब नाप हो गई तो कलेक्टर ने अवैध कब्जा अभी तक क्यों नहीं हटवाया। साफ जाहिर है वो नहीं चाहते मऊगंज जिले के अस्पताल का विस्तार हो और यहां की जनता को फायदा मिलना शुरू हो जाए उसे अन्य जगह भटकना न पड़ें। अगर अतिक्रमण हट गया होता तो ठेकेदार की मशीनें आराम न फरमा रहीं होती, काम शुरू हो जाता।

 

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