
भोपाल. एमपी के मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने हत्या को सुसाइड बताकर खात्मा लगाने के एक सनसनीखेज मामले को विधानसभा में उठाकर एसपी की नींद हराम कर दी है हालांकि एसपी अपने चहेते थाना प्रभारी को बचाने में पूरी ताकत झोंक रही हैं और विधानसभा को जो जवाब भेजने की तैयारी है उसमें एसपी की गर्दन भी फसना तय है. विधायक प्रदीप पटेल ने गृह मंत्री से प्रश्न किया है कि क्या मऊगंज जिले के वार्ड 10में रोहित गुप्ता का शव 7 अप्रैल को फांसी के फंदे पर लटकता हुआ मिला था? यदि हां तो क्या पुलिस ने पीएम रिपोर्ट की अनदेखी कर इस मामले को आत्महत्या बताकर खात्मा लगाने की कोशिश की? विधायक ने अगला सवाल किया कि क्या एसडीओपी ने पीएम रिपोर्ट में गला दबाकर हत्या करना पाया इसके बाद मऊगंज थाना पुलिस ने 6 माह बाद हत्या का प्रकरण दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की? विधायक ने पूछा कि इस गंभीर मामले में विवेचक और थाना प्रभारी के खिलाफ क्या कार्यवाई की गई? अगर नहीं की गई तो क्यों कारण और नियम बतायें? विभागीय जानकार बताते हैं कि घटना के वक़्त जो टीआई थे उनका बाद में तबादला एसपी ने हनुमना थाने कर दिया और जो जवाब भेजा जा रहा उसमें विवेचक की गलती बताकर टीआई को बचाने की नाकाम कोशिश की जा रही लेकिन एसपी शायद भूल गईं ज़ब पीएम रिपोर्ट आई तब थाना प्रभारी का तबादला नहीं हुआ था. यानि उन्होंने घोर लापरवाही की और पीएम रिपोर्ट को नजरंदाज किया. अगर एसपी ने थाना प्रभारी को बचाया तो जांच रिपोर्ट सदन में आने के बाद एसपी की गर्दन फसना तय है.