भोपाल. मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले का गड़रा गांव एक बारगी फिर सुर्खियों में आ गया है. आपको बता दें कि 15 मार्च को गांव के ही सनी द्विवेदी को विनोद कोल और उसके परिजनों ने बंधक बनाकर नक्सलियों की तरह पीट- पीट कर मार डाला था इसके बाद इन्हीं लोगों ने पुलिस पर भी कातिलाना हमला किया जिसमें एक जवान रामचरण गौतम शहीद हो गए और हनुमना तहसीलदार और शाहपुर थाना प्रभारी समेत तकरीबन दर्जन भर पुलिसकर्मी जख़्मी हुए थे इतना ही नहीं एसडीओपी और एक महिला एसआई को भी हमलावरों ने बंधक बना लिया था. इस सनसनीखेज वारदात के बाद गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया था. बता दें कि घटना के 20 दिन बाद शुक्रवार को इसी गांव ने फिर तीन लाशें एक ही घर से उगली. जैसे ही खबर गांव से बाहर निकली एक बार फिर लोग दहशत में आ गए, पुलिस के आला अफसरों के हाथ पांव भी फूल गए. कलेक्टर, एसपी, एएसपी समेत पुलिस के तमाम अफसरों के वाहन सड़क पर फर्राटे भरते गड़रा गांव पहुंचने लगे, विधायक प्रदीप पटेल को जानकारी मिली तो वे भी मौके पर पहुंच गए.
ये हैं मृतक
बताया गया है कि गड़रा में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद अधिकांश कोल और हरिजन समाज के लोग घरों से पलायन कर लिए. काफ़ी मशक्क्त के बाद पुलिस ने 40 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया. इस घटना के बाद कुछ ऐसे लोग भी थे जो अपराध में शामिल नहीं थे बावजूद इसके पुलिस के डर से घर छोड़कर भाग गए. इन्हीं जानकारों की मानें तो औसेरी साकेत 55 वर्ष उसका 8 साल का बेटा अमन साकेत और 11, वर्ष की बेटी मीनाक्षी साकेत के शव घर के अंदर फांसी के फंदे पर झूलते मिले. आशंका जताई जा रही कि 15 मार्च की घटना के बाद औसेरी की पत्नी डर से घर छोड़कर भाग गई जबकि औसेरी अपने बच्चों के साथ घर में छिप गया. वारदात में उसकी क्या भूमिका थी यह तो जानकारी नहीं मिली लेकिन माना जा रहा वह पुलिस से इतना डर गया कि हो सकता है पहले बेटे और बेटी की सोते समय उसने गला दबाकर हत्या की हो इसके बाद फांसी के फंदे पर टांग दिया हो और खुदकुशी कर अपनी भी इहलीला समाप्त कर लिया हो. बहरहाल रीवा से फॉरेसिक टीम के आने के बाद तीनों शवों का पंचनामा भरकर पुलिस ने शवों को पीएम के लिए मऊगंज भिजवा दिया है. शुक्रवार को गड़रा गांव में एक ही घर से मिले तीन शवों के बाद यह गांव फिर सुर्खियों में आ गया है.
भात खाकर सोती रही पुलिस
इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि 15 मार्च के बाद गांव में तीन सैकड़ा बल तैनात था क्या ये फ़ोर्स भात खाकर सोने के लिए तैनात की गई थी. जिस तरह बताया जा रहा तीनों लाशें सड़ चुकी हैं इससे साफ जाहिर है शव 15 दिन ज्यादा पुराने हो चुके. पुलिस टीम ने आखिर हर घर की सर्चिंग क्यों नहीं की? औसेरी के घर का दरवाजा ज़ब 20 दिन से नहीं खुल रहा था तो इन हालातों में वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को इतना तो पता करना चाहिए था आखिर दरवाजा क्यों बंद है. अगर पुलिस पहले ही सर्चिंग की होती तो भले ही तीनों जिन्दा न मिलते लेकिन शव सड़ने से बच जाते.
विधायक ने कहा होगी सही जांच
घटना की इत्तिला मिलने पर मौके पर पहुंचे मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत ही दुःखद घटना है पुलिस के आला अफसर भी पहुंच चुके हैं हमने एसपी से बात की है पूरे मामले की गंभीरता से तहकीक़ात की जाएगी.
