क्या मऊगंज की डूबती नाव पार लगा पाएंगे हिमानी और अंबरीश?

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भोपाल. मध्यप्रदेश का मऊगंज जिला बनने के बाद भीष्म पितामह की तरह बाणों की शैया पर पड़ा अपनी और जिलेवासियों की सुरक्षा की प्रतीक्षा कर रहा है. प्रजातंत्र में सत्ता सीएम के हाथ है जो अपने हिसाब से जिलों में अफसरों को तैनात करते हैं लेकिन यह जरुरी नहीं कि जिन अफसरों पर मुख्यमंत्री ने भरोसा किया वो खरे ही उतरेंगे. मऊगंज जिला बना तो यहां अजय श्रीवास्तव कलेक्टर बनकर आए उनके कार्यकाल को जनता ने देखा उनकी नाक के नीचे अपर कलेक्टर महज 5 हजार की घूस लेते पकडे गए, एसपी रसना ठाकुर ने शराब माफिया, गौ तस्करों और विभाग के दलाल पुलिस कर्मियों को भरपूर संरक्षण दिया नतीजा गड़रा कांड सबके सामने है. गड़रा कांड के बाद अधिकारियों पर तबादले की गाज गिरना शुरू हुई. कलेक्टर, एसपी और डीआईजी हटाए गए बतौर सजा ये वल्लभ भवन और पीएचक्यू भेजे गए. नए अफसरों को रीवा रेंज से लेकर मऊगंज जिले में तैनात किया गया. जनता ने भी सुकून की सांस ली अब बेहतर होगा लेकिन रीवा आईजी गौरव राजपूत जिस तरह बिना कोई कारण बताये एक पर एक आदेश जारी कर यहां से अनुभवी और पुराने स्टॉफ को हटा रहे और नौसिखियों को मऊगंज भेज रहे क्या इससे जिला पटरी पर आ जाएगा? आपको बता दें कि आईजी ने सूबेदार को बिना कोई कारण बताये सतना पुलिस लाइन अटैच कर दिया उनकी जगह सतना से सूबेदार अंबरीश साहू को मऊगंज भेजा गया अब हम आपको यह बताना चाहते हैं कि साहू 2018 बैच के सूबेदार हैं इनकी पहली पोस्टिंग सतना में हुई ये 6 साल से सतना में तैनात हैं लेकिन आज तक इन्हें यातायात थाना प्रभारी नहीं बनाया गया आखिर क्यों? सवाल यह है इन्हें न तो पुलिस लाइन का अनुभव है और न ही यातायात थाने का. साफ जाहिर है ये यहां सीखेंगे जबकि मऊगंज को अनुभवी अधिकारियों की दरकार है. सोनी को सतना में चार पहिया गाड़ी नहीं मिली ये अपनी बाइक से चौराहों पर खड़े होकर सिर्फ चालान काटने के अलावा कुछ नहीं किये. साहू टीआई और एसआई के अंडर में 6 साल किये जिसमें वर्षा सोनकर, पुरुषोत्तम पांडेय, संतोष तिवारी, सत्यप्रकाश मिश्रा, संदीप चतुर्वेदी और सरिता पटेल शामिल हैं. अब आप ही अंदाजा लगाइए इनसे किस क्रांति की उम्मीद करेंगे? अब आते हैं एसडीओपी अंकिता सुल्या पर इनको भी बिना कारण बताये आईजी कार्यालय अटैच किया गया है लेकिन जिस तरह से मऊगंज के मौजूदा हालात हैं वहां स्थाई एसडीओपी चाहिए लेकिन आईजी ने डीएसपी हेडक्वार्टर रीवा को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मऊगंज भेजा है. सवाल यह है क्या हिमाली मऊगंज को इतना समय दे पाएंगी जितनी जरूरत है? इसी तरह बिना किसी कारण बताये शाहपुर थाना प्रभारी संदीप भारती को भी सतना लाइन भेजा गया है. मऊगंज जिले की तासीर को अगर आला अफसर समझने में थोड़ी भी गलती किये तो यहां की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाना बेहद मुश्किल होगा. मऊगंज को स्थाई अनुविभागीय अधिकारी की दरकार है. यहां ज़ब तक तेज तर्रार पुलिस और अनुभवी ऑफिसर तैनात नहीं होंगे जिला इसी तरह बाणों की शैया पर पड़ा कराहता रहेगा.

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