भोपाल। एमपी के मऊगंज स्थित महादेवन मंदिर को अवैध कब्जे से मुक्त कराने को लेकर चल रहे आमरण अनशन के दौरान हिंदू समाज और मुस्लिमों के बीच पथराव और आगजनी की घटना के बाद गिरफ्तार किए गए विधायक प्रदीप पटेल को मनाने बुधवार की सुबह रीवा कमिश्नर और आईजी एसएएफ के सामुदायिक भवन पहुंचे। बताया गया है कि अधिकारियों ने विधायक को मनाने की तमाम कोशिशें की और एक पखवाड़े में अतिक्रमण हटाने की मोहलत भी मांगी लेकिन विधायक ने दो टूक जवाब दिया कि उन्हें जैसे ही छोड़ा जाएगा वे सीधे महादेवन मंदिर पहुंचेंगे और अब खुद शब्बल से अतिक्रमण ढ़हाएंगे। विधायक ने कहा कि हमें फिर गिरफ्तार करो लेकिन छूटने पर मंदिर ही जाएंगे जब तक जबरिया कब्जा नहीं हटेगा अब पीछे नहीं हटने वाले हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि विधायक की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली से भोपाल तक हड़कंप के हालात हैं। विधायक के मोबाइल बंद होने की वजह से उनसे कोई भी मंत्री या सीएम बात नहीं कर पा रहे हैं। सरकार की भी चौतरफा किरकिरी हो रही है। इन्हीं जानकारों की मानें तो महादेवन मंदिर के मैदान में नियमित संघ की शाखा लगती है, बुधवार को जब संघ के कार्यकर्ता शाखा के लिए गए तो पुलिस ने रोक दिया जिसकी जानकारी विधायक को लगी। बताते हैं कि विधायक ने टीआई से बात की और कहा कि अगर शाखा पर रोक लगाई गई तो वे सैकड़ों कार्यकर्ता भेजकर धारा 163 को तोड़वाने से परहेज नहीं करेंगे इसके बाद शाखा लगाने की इजाजत दी गई। इधर विधायक ने भी सामुदायिक भवन में ही शाखा लगाई। एक अन्य जानकारी के मुताबिक मंगलवार को महादेवन मंदिर में मौके पर रिपोर्टिंग कर रहे मीडिया कर्मी राजेश दुबे, मिथिलेश त्रिपाठी और प्रियेश पांडेय को भी पुलिस ने विधायक के साथ उठा लिया और इनको भी नजरबंद कर दिया गया है। मीडियाकर्मियों का आरोप है कि उन्होंने कलेक्टर से सवाल किया था कि आखिर विधायक को क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है? इस सवाल पूछने के एवज में कलेक्टर ने तानाशाही रुख अपनाते हुए इन तीनों को भी उठवा लिया। मीडिया कर्मी आरोप लगा रहे कि कलेक्टर चौथे स्तंभ को भी कुचलने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।
