क्या फॉर्मेलिटी के लिए विधायक से मिलने आए थे प्रभारी मंत्री लखन पटेल? विधायक ने कहा पुराने अफसरों पर नहीं है भरोसा

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भोपाल। एमपी के मऊगंज जिले के महादेवन मंदिर के मामले में अब सरकार भी कठघरे में खड़ी हो गई है। विधायक प्रदीप पटेल के खिलाफ खटखरी चौकी में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 126, 135,170 बीएनएस के तहत मुकदमा पंजीबद्ध कर लिया गया है और कलेक्टर के निर्देश पर उन्हें गिरफ्तार कर 19 नवंबर को एसएएफ के सामुदायिक भवन में बनाए गए अस्थाई जेल में बंद कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक बुधवार को मऊगंज जिले के प्रभारी मंत्री लखन पटेल रीवा पहुंचे और तकरीबन ढाई घंटे विधायक से तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई। बताया गया है कि प्रभारी मंत्री से विधायक ने दो टूक कहा है कि हमारा एक सूत्रीय कार्यक्रम मंदिर की जमीन को मुक्त कराना है। वे हिंदू समाज के साथ खड़े हैं । विधायक के साथ मौजूद लोगों ने बताया कि विधायक का कहना है कि उन्हें जिले और संभाग के किसी अधिकारी पर यकीन नहीं है अगर नए अधिकारी आश्वासन दे तो एक बारगी वो उनकी बात पर भरोसा कर भी सकते हैं। हालांकि विधायक ने कभी भी किसी अधिकारी को हटाने की न तो कोई चिट्ठी लिखी और न ही कोई बयान दिया लेकिन अब सवाल यह है कि विधायक अगर यह बात प्रभारी मंत्री से कह रहे कि नए अधिकारियों की बात मान सकते हैं तो फिर साफ जाहिर है कि विधायक यह भले न कहें कि जिले के कलेक्टर और एसपी को हटाया जाए लेकिन उनकी मंशा यही कहती है कि इन अफसरों से जिले को अब निजात मिलनी चाहिए। विधायक यह भी कह चुके हैं कि जब तहसीलदार और एसडीएम के यहां से अतिक्रमण हटाने के फैसले पटवारी प्रतिवेदन और अतिक्रमणकारियों की अपील के बाद हो चुके थे तो प्रशासन हाथ पर हाथ धरे अब तक क्यों बैठा रहा और अतिक्रमण करने का लगातार मौका देता रहा। विधायक के सवाल जायज हैं अगर पहले ही कार्यवाही हो जाती तो आज ये नौबत ही नहीं आती मतलब साफ है महादेवन मंदिर के मेला परिसर की जमीन पर कब्जा करने वालों को प्रशासन ने खुली छूट दे रखी थी। विधायक ने प्रशासन पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि हिंदू समाज के एक दर्जन लोगों को कलेक्टर के कहने पर तहसीलदार ने जमानत नहीं दी और उन्हें जेल भेज दिया गया इतना ही नहीं हिंदुओं के घर में घुसकर पुलिस गिरफ्तारी कर रही। एक सैकड़ा से ज्यादा हिंदू परिवार के लोग घर छोड़कर अन्यत्र छिपे हैं। विधायक ने आरोप लगाया कि कलेक्टर की जिले में सरेआम गुंडागर्दी चल रही है। अगर आप विधायक के आरोपों पर यकीन करें तो कई सवाल आपकी जेहन में धमाचौकड़ी मचाएंगे मसलन क्या कलेक्टर वाकई में अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं? क्या बीजेपी की सरकार में हिंदू समाज असहाय हो चुका है? क्या सिर्फ वोट लेने के लिए बीजेपी के नेता बटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद करते हैं? सवाल इससे भी आगे का तब हो जाता है कि जब बीजेपी सरकार में बीजेपी का ही विधायक मंदिर की लड़ाई में गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसके खिलाफ ही मुकदमे ठोक दिए जाते हैं? जब सत्ता ही अधिकारियों के हाथ की कठपुतली बन जाए तो फिर हिंदुओं से वोट की उम्मीद बीजेपी किस आसरे करती है यह सवाल भी यहां लाजिमी है? अब मऊगंज की जनता के सामने सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या प्रभारी मंत्री फॉर्मेलिटी निभाने आए थे अगर नहीं तो क्या प्रशासनिक सर्जरी की जाएगी अगर हां तब तो बात कुछ बन सकती है वरना दिखावे से काम नहीं चलने वाला है हिंदू समाज को अब नतीजा चाहिए उसने प्रशासन के आश्वासन पर बहुत सब्र कर लिया। विधायक प्रदीप पटेल तो सुबह ही ऐलान कर चुके हैं कि अगर उन्हें छोड़ा तो अबकि वे खुद शब्बल लेकर दीवार गिराएंगे चाहे भले ही दोबारा गिरफ्तार होना पड़े, उनका लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ मंदिर को जबरिया कब्जे से निजात दिलाना है।

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