
भोपाल। संतोष पांडेय ।
मऊगंज को जब 4 मार्च को तब के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जिला बनाने की घोषणा की तब कांग्रेसियों के सीने पर सांप लोट गया था उन्होंने सोचा विधायक प्रदीप पटेल को क्रेडिट मिल गया और कांग्रेस के लोगों ने दुष्प्रचार शुरू किया कि सब फर्जी है लेकिन अब जिला अस्तित्व में आ चुका है। विधायक ने फिर नया नवाचार किया और कांग्रेसी टेसुए बहाने लगे। आपको बता दें कि जिले के देवरा गांव में ऐतिहासिक महदेवन मंदिर को महालोक बनाने की दिशा में काम शुरु हो चुका है जिसकी पहली कड़ी की शुरुआत मंदिर के नजदीक से बहने वाली जोंकी नदी पर 16 अगस्त को गंगा आरती से हुई जिसमें सपरिवार विधायक प्रदीप पटेल ,कलेक्टर अजय श्रीवास्तव और क्षेत्र के तमाम गणमान्य नागरिक शामिल हुए। कांग्रेसियों को इसमें भी सियासत नजर आई ,आना भी चाहिए इसकी वजह यह है कि उसके एक बड़े वोट बैंक को वहां से बेदखल होना पड़ेगा जो मंदिर परिसर में जबरिया कब्ज़ा किए हुए हैं। दूसरी तरफ एक बहुत बड़ा वोट बैंक विधायक के साथ जुड़ गया। जानकार बताते हैं की 9 एकड़ 27 डिसमिल आराजी इस मंदिर की है जिसके एक बड़े हिस्से में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बेजा कब्ज़ा कर लिया जो अब खाली कराया जायेगा। जहां तक नदी की बात है क्षेत्र की महिलाएं कई पुश्तों से इसमें स्नान कर भोलेनाथ का जलाभिषेक करती हैं लेकिन मौजूदा समय में अतिक्रमणकारियों ने उसे अपवित्र करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विधायक की मंशा है कि नदी की सफाई कराकर वहां घाट का निर्माण कराया जाय और इस पवित्र स्थल को महालोक की शक्ल में तब्दील किया जाए। अब सवाल यह उठता है कि विधायक कौन सा अपराध करने जा रहे। हर समझदार इंसान यही कहेगा कोई नहीं लेकिन कांग्रेस के लोग ने आरती के बाद विधायक को कठघरे में खड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने विधायक के सामान्य ज्ञान पर ही सावल नहीं उठाया अपितु हिन्दू धर्म और आस्था के प्रतीकों का अपमान करने का भी आरोप मढ़ दिया। आपको हम 5 दशक पहले की एक दास्तां बताते हैं। 1970 में रिलीज हुई मनोज कुमार और शायरबानो अभिनीत फिल्म पूरब और पश्चिम में महेंद्र कपूर का गाया एक गीत जो आज भी 15 अगस्त और 26 जनवरी को सुनने को मिलता है इस गीत को हर बच्चा भी गुनगुनाता है जिसके बोल हैं। इतनी ममता नदियों को भी जहां माता कहकर बुलाते हैं ,इतना आदर इंसान तो क्या पत्थर भी पूजे जाते हैं ,इस धरती पे हमने जन्म लिया ,ये सोच के मैं इतराता हूं। है प्रीत जहां की रीत सदा। इस देश में पावन गंगा,यमुना ,कावेरी ,क्षिप्रा ,नर्मदा जैसी नदियों में जितनी भी छोटी नदियां मिलती हैं उस नदी को वही मानकर पूजा जाता है। यहां किसी नदी के बहते जल को गंगा ही माना जाता है। दरअसल गंगा हमारी आस्था का ही प्रतीक हैं। इस देश में पत्थर को भी भगवान मानकर लोग पूजते हैं फिर विधायक पर सवाल उठाने वाले क्या ये सब नहीं मानते। या फिर विरोध कर अपनी हाइप बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं। विपक्ष को विरोध का हक़ है लेकिन जिस काम को व्यापक पैमाने पर जन समर्थन मिल रहा हो उसके विरोध का आखिर औचित्य क्या है ?